 2025-02-20
									HaiPress
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दिल्ली में रेखा गुप्ता को विधायक दल का नेता चुने जाने की इनसाइड स्टोरी.
CM के नाम पर सरप्राइज देना बीजेपी का स्टाइल रहा है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा,इसका कोड तोड़ पाना नामुमकिन रहा है. दिल्ली में भी कुछ ऐसा ही हुआ. पार्टी दिल्ली की कमान किसे सौंपने जा रही है,आखिरी लम्हे तक इस पर सस्पेंस रहा.दिल्ली सीएम रेस के सस्पेंस को भाजपा ने काफी देर तक बनाए रखा. अंतिम दौर तक यह क्लियर नहीं हो रहा था कि कौन दिल्ली के नए मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल की बैठक में थोड़ी ही देर बाद मीडिया को बाहर कर दिया गया. विधायकों का फोन बंद करा दिया गया. बैठक में शामिल होने आ रहे विधायक साफ तौर पर यह कहते रहे कि नहीं,नहीं मैं सीएम नहीं हूं. सीएम को चुनना पार्टी का फैसला है. विधायक दल की बैठक के दौरान भी पार्टी ने सीएम रेस में शामिल 4 नेताओं के साथ एक अलग मीटिंग की. इससे यह सस्पेंस और बढ़ा. लेकिन अंतिम दौर में रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान किया गया.
आखिरी पलों में कैसे रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी? कौन थे वो लोग,जिन्होंने उनके नाम को आगे बढ़ाया? और पीएम मोदी ने क्यों दिया उनका साथ? आज आपको पूरी इनसाइड स्टोरी बताएंगे-हर एक मोड़,हर एक मीटिंग की पूरी कहानी!दरअसल दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे लंबा मंथन,गहरी राजनीति और कई बड़े नेताओं की सिफारिशें शामिल थीं. दिल्ली बीजेपी के अंदरखाने में जो मंथन चला,उसे समझना जरूरी है. अब सवाल ये कि रेखा गुप्ता ही क्यों? कौन-कौन से नाम थे दौड़ में? और आखिरी समय में कैसे उनके नाम पर मोहर लगी? चलिए,पूरा मामला डिटेल में समझते हैं.
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दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से लेकर आज मुख्यमंत्री बनने तक,उन्होंने लंबा सफर तय किया है. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ सचिव भी रह चुकी हैं. इसके बाद उन्होंने दिल्ली नगर निगम (MCD) में पार्षद के तौर पर लंबा वक्त बिताया. एमसीडी की कई महत्वपूर्ण कमेटियों की चेयरमैन भी रहीं.
रेखा गुप्ताअजय महावरमनजिंदर सिंह सिरसाप्रवेश वर्माशुरुआती दौर में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन रही थी. लेकिन रेखा गुप्ता के पक्ष में तीन बड़ी बातें थीं:
(2) RSS और ABVP का सपोर्ट
रेखा गुप्ता की राजनीति आरएसएस की छात्र इकाई ABVP से शुरू हुई थी,और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी. बजरंग लाल (दिल्ली आरएसएस के बड़े नेता) ने बीजेपी नेतृत्व से कहा कि अगर महिला को मौका देना है तो रेखा गुप्ता बेस्ट ऑप्शन हैं. सुनील बंसल,जो पहले यूपी बीजेपी के संगठन महामंत्री थे और अब राष्ट्रीय महामंत्री हैं,उन्होंने भी उनका समर्थन किया. एबीवीपी के पुराने कनेक्शन भी उनके हक में गए. धर्मेंद्र प्रधान,जो अभी केंद्रीय मंत्री हैं,उनकी पत्नी रेखा गुप्ता की अच्छी दोस्त हैं. इसी वजह से धर्मेंद्र प्रधान का भी समर्थन उन्हें मिला.
तो ये थी दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के चयन की पूरी इनसाइड स्टोरी. रेखा गुप्ता को अचानक नहीं चुना गया,बल्कि लंबी प्लानिंग,और हाई-लेवल रणनीति के तहत उनकी ताजपोशी हुई. अब देखना ये होगा कि क्या वो दिल्ली में बीजेपी की पकड़ को और मजबूत कर पाएंगी?
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